हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग हिंदी आईडिया में आज हम आपको बताएँगे कि आखिर कैसे एक मछली ने दो भाइयो को लखपति बनाया।
कैसे बनाया एक मछली ने दो भाइयो को लखपति ?
दोस्तों आप लोगो ने लखपति तो बहुत देखे होंगे पर अपने ऐसे लखपतियों के बारे में कहीं भी नहीं सुना होगा। आखिर कैसे बने वो लखपति ? किसने बनाया उन्हें लखपति ? तो दोस्तों इन सभी सवालों का जवाब पता करने के लिए बस हमारी यह पोस्ट पढ़ते रहें।क्या कोई एक मछली किसी को लखपति बना सकती है? मछलियों के बारे में मामूली जानकारी रखने वाले लोग इस सवाल का जवाब जाहिर तौर पर न में ही देंगे. लेकिन ऐसा मुमकिन है! कुछ दिनों पहले मुंबई में दो मछुआरे भाइयों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. महेश मेहर और भारत मेहर को उनके जाल में फंसी एक मछली ने लखपति बना दिया.
द टाइम्स आॅफ इंडिया के मुताबिक इस दिन इनके जाल में 30 किलो वजन की ‘घोल’ नामक एक विशेष प्रजाति की मछली फंसी थी. इसे ‘सोने का दिल’ वाली मछली भी कहा जाता है जो अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है. पूर्वी एशिया के सिंगापुर, मलेशिया, हांग कांग, जापान जैसे देशों में घोल मछली की अत्याधिक मांग है. कई तरह की दवाइयां बनाने के अलावा कॉस्मेटिक उत्पादों को तैयार करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
इस मछली की त्वचा को उच्च गुणवत्ता के कोलेजन (मज्जा) का बेहतरीन स्रोत माना जाना है. इसके अलावा मानव शरीर में लगाए जाने वाले घुलनशील टांकों के निर्माण के लिए इस मछली के पंखों का इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि इस मछली की वैश्विक मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है और इसकी न्यूनतम कीमत 800 से एक हजार रुपये प्रति किलोग्राम के बीच मानी जाती है.
उधर, मुंबई तट पर मेहर बंधुओं के जाल में घोल मछली के फंसने के बारे में जैसे ही लोगों को सूचना मिली तो इसे खरीदने की दिलचस्पी रखने वाले व्यापारियों की कतार लग गई. फिर इसकी नीलामी के जरिये भारत और महेश मेहर को इसके 5.5 लाख रुपये मिले.
मछली की बिक्री होने के बाद महेश ने कहा, ‘हर मछुआरे की इच्छा होती है कि उसके जाल में घोल जैसी महंगी मछली फंसे. मछुआरों के जाल में घोल का फंसना किसी लॉटरी के लग जाने जैसा होता है. मेरे जाल ने भी मेरी लॉटरी लगा दी. अब इस पैसे से मैं अपनी छोटी सी नाव और जाल की मरम्मत का काम कराऊंगा. इस पैसे से मुझे अपने आर्थिक संकट से उबरने में भी मदद मिलेगी.’
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