हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग हिंदी आईडिया में आज हम आपको कंप्यूटर वायरस को डिटेल में बताएँगे।
कंप्यूटर वायरस क्या क्यूँ कैसे ?
दोस्तों, अगर आप कंप्यूटर या मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करते हैं तो बेशक आपने वायरस का नाम तो सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं की यह क्या होता है यह कैसे काम करता है और इसकी बजह से हमारे कंप्यूटर में क्या क्या नुकशान हो सकते हैं? अगर नहीं तो कोई बात नहीं बस इस पोस्ट को आगे पढ़ते रहिये।कंप्यूटर वायरस क्या है ?
VIRUS का पूरा नाम Vital Information Resources Under Siege है। वायरस कम्प्यूटर में छोटे- छोटे प्रोग्राम होते है। जो auto execute program होते जो कम्प्यूटर में प्रवेष करके कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते है। वायरस कहलाते है।कंप्यूटर वायरस का इतिहास
कम्प्युटर बहुत ही पुराना इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है| अर्थात जब से, कम्प्यूटर बना उससे संबंधित समस्याओं का विकास हुआ| बिल्कुल उसी तरह कम्प्यूटर वाइरस जो कि कम्प्यूटर की सबसे बड़ी समस्या है ,का इतिहास भी बहुत पुराना है|मैलवेयर (Malware) कम्प्यूटर मे होने वाले वायरस का नाम है, जोकि एक दीमक की तरह कम्प्यूटर के डाटा (Data) को नष्ट कर देता है|
Malware वायरस का इतिहास
बदलते समय के साथ वायरस के नाम परिवर्तित होते चले गये| Malware वायरस के नाम की संक्षिप्त सूची
नंबर | वर्ष | वायरस का नाम |
1 | 1949 | सेल्फ – रिप्रोड्युसिंग ऑटोमेटा |
2 | 1959 | कोर वारस |
3 | 1971 | क्रीपर |
4 | 1981 | एलक क्लोनेर |
5 | 1986 | ब्रेन |
6 | 1988 | द मोरिस वोर्म |
7 | 1995 | कांसेप्ट |
8 | 1998 | सी.आई.ऐच वायरस |
9 | 1999 | हैप्पी99 |
10 | 2000 | आई लव यू वायरस |
11 | 2001 | ऐना कौर्निकोवा |
12 | 2002 | एल.एफ.एम-926 |
13 | 2004 | मायडूम |
14 | 2006 | ओ.एक्स.एस/लीप-A |
15 | 2007 | स्टॉर्म वोर्म |
16 | 2010 | केंज़ेरो |
17 | 2014 | बेकऑफ |
कम्प्यूटर वायरस के प्रकार
रेसिडेंट वायरस (Resident Virus) – यह वायरस रेम (RAM) मे स्थायी रूप से हो जाते है| यह सिस्टम को ओपरेट करने मे, शट-डाउन करने मे, डाटा को कॉपी-पेस्ट करने मे बाधा उत्पन्न करता है|ओवर-राइट वायरस (Overwrite Virus) – यह वायरस से इन्फेक्टेड फाइल होती है, जोकि फाइल के ओरिजिनल डाटा को नष्ट कर देती है|
डायरेक्ट एक्शन वायरस (Direct Action Virus) – यह वायरस, हार्ड ड्राइव रूट डायरेक्टरी (Hard Drive’s Root Directory) के अंदर होता है| जो फाइल और फोल्डर को डिलीट (Delete) कर देता है|
फाइल इन्फेक्टोर्स (File Infectors) – यह वायरस बहुत ज्यादा हानि पहुचता है क्यों कि, यह सीधे Running की फाइल पर असर कर डाटा नष्ट कर देता है| आज-कल ये ही वायरस सिस्टम मे होता है, जो डाटा को हटा देता है|
बूट वायरस (Boot Virus) – फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) और हार्ड ड्राइव (Hard Drive) को सबसे ज्यादा नुकसान पहुचाती है| और इन्हें चलने से रोक देते है|
डायरेक्टरी वायरस (Directory Virus) – यह एक बहुत ही अजीब किस्म का वायरस होता है| यह फाइलों के Path ओर Location चेंज कर देता है| Main Location से ले जाकर कही भी फाइल को छोड़ देता है|
मैक्रो वायरस (Macro Virus) – इस वायरस का असर निश्चित (Particular) प्रोग्राम और एप्लीकेशन पर ही होता है| ये उनकी Speed मे परिवर्तन करता है|
ब्राउज़र हाईजैक वायरस (Browser Highjack Virus) – 2014-2015, अर्थात् यह वर्तमान मे फैला हुआ वायरस है| बढ़ते इंटरनेट उपयोग के चलते ये बहुत आसानी से किसी Website, Games, File के जरिये System मे प्रवेश करती है| और इसकी Speed और अन्य फाइलों पर नष्ट कर देते है|
कम्प्यूटर वायरस के हानिकारक प्रभाव
- वायरस कम्प्यूटर की गति धीमी कर देता है|
- वायरस कम्प्यूटर के किसी भी फाइल या प्रोग्राम को नष्ट कर सकता है|
- वायरस System की Windows के बूट मे समस्या उत्पन्न कर उसे नष्ट कर सकता है|
- वायरस होने के कारण System की Power Consume (बिजली की खपत) करने की क्षमता बढ़ जाती है|
- बड़े-बड़े ऑफिस, फर्म, स्कूलों, कालेजों मे जहा भी लेन (LAN) मे कई सिस्टम जुड़े होते है, वहा वायरस तेजी से फैलता है, ओर नुकसान का कारण बनता है|
वायरस के कारण
हाईटैक जमाने के अनुसार, कम्प्यूटर और उससे संबंधित उपकणों का उपयोग बहुत बढ़ रहा है| एक छोटे बच्चे से लेकर तो बड़े बुजुर्ग तक कम्प्यूटर व मोबाइल का उपयोग करने लगे है| पर ये लोग कम्प्यूटर वायरस से परिचित नही है| जिसके चलते वह बिना सोंचे, सिस्टम का उपयोग करते है जिससे, सिस्टम मे वायरस आ जाते है| जैसे-- पैन ड्राइव को स्कैन किये बिना Use करना|
- ऑनलाइन गेम, मूवी देखना|
- कोई भी प्रोग्राम, फाइल, डाटा ऑनलाइन डाउनलोड करना|
- मोबाईल और अन्य डिवाइस से सिस्टम को जोड़ना|
- LAN मे कई सिस्टम को चलाना|
- सिस्टम मे Anti-virus का आउटडेट होजाना|
वायरस से बचने के उपाय
- System मे , किसी अच्छी कम्पनी का Anti-Virus डाले व उसे रजिस्टर्ड करे|
- एंटीवायरस की Last Date याद रख उसे अपडेट कराये|
- जब भी कम्प्यूटर से मोबाईल, पेनड्राइव या कोई भी डिवाइस जोड़ते ही उसे स्कैन करे|
- ऑनलाइन जब भी कुछ देखे या डाउनलोड करे तो उसे अच्छी और रजिस्टर्ड Site से ही डाउनलोड करे|
- सिस्टम का डाटा Save कर, उसका बैकअप लेकर System को एक समय के बाद फॉर्मेट कराये|
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