हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग हिंदी आईडिया में आज हम आपको बताएँगे कि आखिर इतने शक्तिशाली होते हुए भी हनुमान ने रावण को क्यों नहीं मारा।
एक प्रश्न सभी के मन में उठता है कि जब हनुमान जी के द्वारा सीता माता की लंका में खोज कर ली गई तो फिर वे उन्हें वहाँ से लेकर क्यों नही आये. एक और भी प्रश्न उठता है कि क्या हनुमान जी रावण को मार नही सकते थे?
आइये समझते हैं इन्ही दोनों रोचक प्रश्नों को : सर्वप्रथम हम आपको बता देते हैं कि हनुमान जी ने अनेकों असंभव कार्य किये हैं. वे शिव के रूद्र अवतार थे तथा अपने बाल्यकाल में ही देवी-देवताओ की कृपा से महाशक्तिशाली बन चुके थे. उनके लिए माता सीता को लंका से लेकर आना तथा रावण का वध करना मात्र एक चुटकी भर का खेल था किन्तु उन्होंने 2 वजहों से ऐसा नही किया.
पहली वजह : हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम के दास थे. वे चाहते थे की रावण का वध और लंका का सर्वनाश उनके प्रभु श्री राम के हांथों ही संपन्न हो. उन्होंने श्री राम की कीर्ति को बढ़ाने हेतु रावण को नही मारा. और इस वजह से वे ना ही रावण की भाँती धोखे से अथवा कायर की तरह सीता मैया को लंका से ले जा सकते थे. वे तो हमेशा अपने मालिक भगवान श्री राम के ईशारे पर ही चलते थे.
दूसरी वजह : लंकापति रावण भगवान शिव का परम भक्त था तथा हनुमान जी शिव के ही अवतार थे. अत: भोलेनाथ जी के द्वारा अपने भक्त को मृत्यु के घाट उतारना भी उचित नही था. रावण ने शिव को प्रसन्न करने हेतु महाकाव्य शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी.
क्या आप जानते हैं हनुमान ने रावण को क्यूँ नहीं मारा ?
रामायण धारावाहिक तो आप सभी ने देखी ही होगी अथवा पढ़ी होगी. रामायण त्रेतायुग में हुई सत्य घटना विष्णु के अवतार श्री राम, सीता, लक्ष्मण, रावण तथा हनुमान पर केन्द्रित थी. रामचंद्र जी के सहायक के रूप में शिव के अवतारी श्री पवनपुत्र हनुमान जी थे.एक प्रश्न सभी के मन में उठता है कि जब हनुमान जी के द्वारा सीता माता की लंका में खोज कर ली गई तो फिर वे उन्हें वहाँ से लेकर क्यों नही आये. एक और भी प्रश्न उठता है कि क्या हनुमान जी रावण को मार नही सकते थे?
आइये समझते हैं इन्ही दोनों रोचक प्रश्नों को : सर्वप्रथम हम आपको बता देते हैं कि हनुमान जी ने अनेकों असंभव कार्य किये हैं. वे शिव के रूद्र अवतार थे तथा अपने बाल्यकाल में ही देवी-देवताओ की कृपा से महाशक्तिशाली बन चुके थे. उनके लिए माता सीता को लंका से लेकर आना तथा रावण का वध करना मात्र एक चुटकी भर का खेल था किन्तु उन्होंने 2 वजहों से ऐसा नही किया.
पहली वजह : हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम के दास थे. वे चाहते थे की रावण का वध और लंका का सर्वनाश उनके प्रभु श्री राम के हांथों ही संपन्न हो. उन्होंने श्री राम की कीर्ति को बढ़ाने हेतु रावण को नही मारा. और इस वजह से वे ना ही रावण की भाँती धोखे से अथवा कायर की तरह सीता मैया को लंका से ले जा सकते थे. वे तो हमेशा अपने मालिक भगवान श्री राम के ईशारे पर ही चलते थे.
दूसरी वजह : लंकापति रावण भगवान शिव का परम भक्त था तथा हनुमान जी शिव के ही अवतार थे. अत: भोलेनाथ जी के द्वारा अपने भक्त को मृत्यु के घाट उतारना भी उचित नही था. रावण ने शिव को प्रसन्न करने हेतु महाकाव्य शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी.
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